Solar Panels On Walls New Technology: दीवार पर सोलर पैनल, सौर ऊर्जा में क्रांति की नई शुरुआत।

Narendra Kumar
7 Min Read
Solar Panels On Walls New Technology In India?

Solar Panels On Walls New Technology: सौर ऊर्जा के क्षेत्र में एक नया बदलाव देखने को मिल रहा है। अब तक हम सोलर पैनल को छतों पर देखते आए हैं, लेकिन अब ये पैनल इमारतों की दीवारों पर अपनी जगह बना रहे हैं। यह नई तकनीक, जिसे वॉल-माउंटेड सोलर पैनल या बिल्डिंग-इंटीग्रेटेड फोटोवोल्टिक्स (BIPV) के नाम से जाना जा रहा है,

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शहरी क्षेत्रों में ऊर्जा उत्पादन के लिए एक अभिनव समाधान पेश कर रही है। भारत जैसे देश में, जहां शहरीकरण तेजी से बढ़ रहा है और हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से कई योजनाएं चल रही हैं, यह तकनीक भविष्य की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में अहम भूमिका निभा सकती है। आइए जानते हैं कि यह तकनीक क्या है, कैसे काम करती है और इसके फायदे-नुकसान क्या हैं।

दीवार पर सोलर पैनल: तकनीक का नया चेहरा

पारंपरिक सोलर पैनल को छत पर क्षैतिज (तिरछा ) रूप से लगाया जाता है, लेकिन वॉल-माउंटेड सोलर पैनल ऊर्ध्वाधर रूप से इमारत की बाहरी दीवारों पर स्थापित किए जाते हैं। ये पैनल सूर्य की किरणों को अवशोषित करके बिजली उत्पन्न करते हैं और इनका डिज़ाइन इस तरह से तैयार किया जाता है कि ये दीवारों के साथ पूरी तरह से एकीकृत हो सकें।

कुछ मामलों में, ये पैनल पारदर्शी या लचीले होते हैं, जो इमारत की सौंदर्यता को भी बढ़ाते हैं। इस तकनीक का उद्देश्य उन जगहों पर सौर ऊर्जा का उपयोग करना है, जहां छत पर पर्याप्त स्थान नहीं है या छत की संरचना सोलर पैनल के लिए उपयुक्त नहीं है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह तकनीक शहरी इमारतों, जैसे अपार्टमेंट्स, ऑफिस कॉम्प्लेक्स और ऊंची इमारतों के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकती है।

Solar Panels On Walls New Technology: यह कैसे काम करता है?

दीवार पर लगे सोलर पैनल का कार्य सिद्धांत वही है जो छत पर लगे पैनल का होता है। इनमें सिलिकॉन से बने फोटोवोल्टिक सेल होते हैं, जो सूर्य के प्रकाश को बिजली में परिवर्तित करते हैं। जब सूर्य की किरणें पैनल पर पड़ती हैं, तो फोटोवोल्टिक प्रभाव के कारण इलेक्ट्रॉन गति करते हैं और विद्युत धारा उत्पन्न होती है।

इन पैनल को मजबूत माउंटिंग सिस्टम के साथ दीवार पर लगाया जाता है, जिसे सूर्य की रोशनी को अधिकतम अवशोषित करने के लिए सही कोण पर समायोजित किया जा सकता है। इसके बाद उत्पन्न डीसी (डायरेक्ट करंट) बिजली को इन्वर्टर के जरिए एसी (एल्टरनेटिंग करंट) में बदला जाता है, जिसे घरेलू उपकरणों में इस्तेमाल किया जा सकता है। अगर अतिरिक्त बिजली बनती है, तो इसे बैटरी में संग्रहित किया जा सकता है या ग्रिड में भेजा जा सकता है।

फायदे जो इसे खास बनाते हैं

इस तकनीक के कई फायदे हैं जो इसे आकर्षक और खास बनाते हैं। सबसे बड़ा लाभ है स्थान की बचत। जिन घरों या इमारतों में छत पर जगह कम है या छाया की समस्या रहती है, वहां दीवारें एक बेहतरीन विकल्प साबित हो सकती हैं। शहरी क्षेत्रों में, जहां ऊंची इमारतें एक-दूसरे के करीब होती हैं, यह तकनीक दीवारों का उपयोग करके बिजली उत्पादन को संभव बनाती है।

इसके अलावा, सूर्य की स्थिति के आधार पर पैनल को समायोजित करके अधिकतम ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है, खासकर सर्दियों में जब सूर्य निचले कोण पर होता है। यह तकनीक पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है, क्योंकि यह हरित ऊर्जा को बढ़ावा देती है और कार्बन उत्सर्जन को कम करती है। आधुनिक डिज़ाइन के साथ ये पैनल इमारत की सुंदरता को बढ़ाते हैं और रखरखाव भी आसान होता है, क्योंकि इन्हें साफ करना छत की तुलना में सरल है।

चुनौतियां और नुकसान

हालांकि यह तकनीक कई मायनों में फायदेमंद है, लेकिन इसके कुछ नुकसान भी हैं। पहली चुनौती है सूर्य प्रकाश की उपलब्धता। अगर दीवार सूर्य की दिशा (भारत में आमतौर पर दक्षिण दिशा) की ओर नहीं है, तो ऊर्जा उत्पादन कम हो सकता है। दूसरा, शुरुआती लागत अधिक हो सकती है, क्योंकि दीवार पर मजबूत माउंटिंग सिस्टम और खास डिज़ाइन की जरूरत पड़ती है।

इसके अलावा, छत की तुलना में दीवार पर जगह कम होती है, जिससे बड़े पैमाने पर बिजली उत्पादन सीमित हो सकता है। पुरानी इमारतों में संरचनात्मक मजबूती एक बड़ी समस्या हो सकती है, क्योंकि उनकी दीवारें सोलर पैनल के वजन को सहन करने में सक्षम नहीं हो सकतीं। मौसम का प्रभाव भी एक चुनौती है, क्योंकि बारिश या धूल से पैनल के निचले हिस्से अधिक प्रभावित हो सकते हैं।

भारत में संभावनाएं

भारत में, जहां सरकार पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना जैसे कार्यक्रमों के जरिए सौर ऊर्जा को बढ़ावा दे रही है, यह तकनीक एक नया आयाम जोड़ सकती है। शहरीकरण के बढ़ते दबाव के बीच, जहां छतों पर जगह की कमी एक बड़ी समस्या बन रही है, दीवार पर सोलर पैनल ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक कदम हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर इस तकनीक को सही तरीके से लागू किया जाए, तो यह न केवल घरेलू बिजली की जरूरतों को पूरा कर सकती है, बल्कि व्यावसायिक इमारतों के लिए भी उपयोगी साबित हो सकती है।

निष्कर्ष

दीवार पर सोलर पैनल लगाने की तकनीक सौर ऊर्जा के भविष्य को नई दिशा दे रही है। यह उन लोगों के लिए एक बेहतरीन विकल्प है जो अपने घरों या इमारतों को हरित ऊर्जा से जोड़ना चाहते हैं, लेकिन छत पर जगह की कमी या अन्य बाधाओं का सामना कर रहे हैं। हालांकि, इसे अपनाने से पहले दीवार की दिशा, संरचना की मजबूती और लागत का सही आकलन जरूरी है।

जैसे-जैसे यह तकनीक विकसित होगी, उम्मीद है कि यह सस्ती और अधिक प्रभावी बन सकेगी, जिससे भारत जैसे देशों में सौर ऊर्जा का सपना और सुलभ हो सकेगा। क्या यह तकनीक सौर क्रांति की अगली कड़ी बनेगी? यह तो आने वाला समय ही बताएगा।

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