हिन्दू आस्था का महापर्व छठ पूजा सदियों से प्रति वर्ष कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से छठ पूजा की शुरुआत होती है।

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इस साल छठ पूजा की शुरुआत 05 नवम्बर से होगा और 08 नवम्बर सूर्योदय अर्घ्य देने के बाद पारण होगा इस पर्व को सूर्य सष्ठी, छठ, छठी, और डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है।

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इस पर्व को सप्तमी तिथि तक मनाया जाता है यह महापर्व पूरे चार दिनों तक चलता है और इस पर्व फल, नारियल, गन्ना, हरा सब्जी, ठेकुआ, मालपुआ चढ़ाने की परम्परा है।

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छठ पूजा का महत्व हिन्दू धर्म काफी ज्यादा है इस पर्व के दौरान छठ मैया और भगवान सूर्य की पूरी निष्ठा के साथ पूजा-आराधना की जाती है।

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इस पर्व का उत्साह सबसे ज्यादा बिहार, झारखंड में देखने को मिलती है इसके अलावा भी उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ हिस्सों में दिखाई देता हैं।

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इस चार दिन के कठिन पर्व में महिलाएं घर की खुशहाली और अपने संतान की सलामती के लिए निर्जल उपवास और व्रत रखती है।

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श्रद्धालु इस त्यौहार के दिन नदी, तालाब और घर पर स्नान करते हैं उसके बाद व्रती महिलाएं खीर, चना का दाल और लौकी की सब्जी प्रसाद के रूप में ग्रहण करती हैं।

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छठ पर्व के दूसरे दिन को खरना कहा जाता है इस दिन महिलाएं पूरे दिन उपवास रखती हैं और शाम के समय खरना का प्रसाद खाती है और फिर 36 घंटे तक निर्जल उपवास का व्रत शुरुवात करतीं हैं।

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इस पर्व के तीसरे दिन व्रती महिलाएं सूर्यास्त के समय नदी या तालाब के किनारे सूर्यदेव जी को अर्घ्य देती हैं और बास के सूप में फल, ठेकुआ, चावल, गन्ना लेकर पानी में खड़ा होकर सूर्यदेव जी प्रार्थना करती हैं।

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छठ पूजा के चौथे दिन व्रती महिलाएं उगते हुए सूर्यदेव जी को अर्घ्य देती हैं और महिलाएं अपने परिवार और संतान की लम्बी उम्र और अच्छे भविष्य की कामना और फिर व्रत का पारण करतीं हैं इसी दिन प्रसाद वितरण भी किया जाता है।

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