सनातन धर्म में प्राचीन काल से ही दिवाली जिसे हम दीपावली के नाम से भी जानते है मनाने की परम्परा है

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दीपावली शब्द 'दिप' (दीपक) और 'आवली' (पंक्ति) इन दो शब्दो से मिलकर बना है

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हिन्दू कैलेंडर के अनुसार दिवाली का त्यौहार प्रतिवर्ष कार्तिक महीने में कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाया जाता है

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अलग - अलग धर्मो में दिवाली मनाने की परम्परा इतिहास महत्व और कहानिया जुडी हुई है

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भगवान राम जी के 14 वर्ष के बाद अयोध्या वापस आने की खुशी में भी दिवाली का त्यौहार मनाया जाता है

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भगवान श्री कृष्ण जी ने नरकासुर का वध दिवाली के एक दिन पहले चतुर्दशी को किया था इस खुशी में भी दिवाली मनाया जाता है

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बौद्ध धर्म के अनुयायियों ने 2500 वर्ष पूर्व गौतम बुद्ध के स्वागत में भी दीप जलाकर दिवाली मनाई थी

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सिख धर्म के अनुसार कार्तिक अमावस्या के दिन ही सिखों के छठे गुरु हर गोविन्द सिंह जी बादशाह जहांगीर के कैद से मुक्त होकर अमृतसर वापस आये थे

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अमृतसर के स्वर्ण मंदिर का निर्माण भी दिवाली के दिन से ही शुरू हुआ था इस मंदिर का ऊपरी माला 400 किलो सोने से निर्मित है, इसलिए इस मंदिर को स्वर्ण मंदिर नाम दिया गया है

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जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर जी ने दिवाली के दिन अपने शरीर का त्याग किया था अतः इस दिन को भगवान महावीर निर्वाणोत्सव के रूप में मनाया जाता है

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दिवाली के दिन इन गलतियों को न करे वरना नहीं मिलता पूजा का पूरा फल

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