दिमाग की इशारे से चलेगा आपका iPhone और iPad, Apple ला रहा गजब की टेक्नोलॉजी।

Narendra Kumar
7 Min Read

Apple New Technology: स्मार्टफोन की दुनिया में क्रांति लाने वाली कंपनी Apple अब एक ऐसी टेक्नोलॉजी पर काम कर रही है, जो सचमुच दिमाग हिला देने वाली है। 2027 में iPhone की 20वीं सालगिरह से पहले Apple कुछ ऐसा करने जा रहा है, जो टेक्नोलॉजी की दुनिया में तहलका मचा सकता है। यह ना तो नया iPhone है, ना iPad और ना ही Vision Pro 2.0, बल्कि एक ऐसी तकनीक है, जिससे आप अपने iPhone और iPad को सिर्फ दिमाग से कंट्रोल कर सकेंगे। जी हां, अब उंगलियों की जरूरत नहीं, बस सोचिए और आपका फोन काम करने लगेगा!

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दिमाग से फोन चलाने का सपना होगा सच

Apple की इस नई टेक्नोलॉजी का सबसे बड़ा फायदा उन लोगों को होगा, जो शारीरिक रूप से सक्षम नहीं है, द वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, Apple अब ऐसी टेक्नोलॉजी पर काम कर रहा है, जो यूजर्स को अपने डिवाइस को सिर्फ दिमाग के इशारों से कंट्रोल करने की सुविधा देगी। खासकर उन लोगों के लिए यह तकनीक वरदान साबित होगी, जो गंभीर शारीरिक अक्षमता की वजह से अपने फोन या टैबलेट को हाथ से इस्तेमाल नहीं कर पाते। इस टेक्नोलॉजी की मदद से बिना डिवाइस को छुए ही आप कॉल कर सकेंगे, मैसेज टाइप कर सकेंगे या ऐप्स खोल सकेंगे।

Apple का नया पार्टनर: Synchron

‘द वॉल स्ट्रीट जर्नल’ की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, Apple ने इस खास प्रोजेक्ट के लिए Synchron नाम की कंपनी के साथ हाथ मिलाया है। Synchron ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस (BCI) के क्षेत्र में काम करने वाली एक जानी-मानी कंपनी है। इसे कुछ लोग Apple का इस क्षेत्र में पहला कदम मान रहे हैं।

Synchron ने एक खास डिवाइस बनाई है, जिसका नाम है Stentrode। यह एक छोटा सा इम्प्लांट है, जिसे दिमाग के मोटर कॉर्टेक्स के पास एक नस में डाला जाएगा। यह इम्प्लांट दिमाग से निकलने वाले विद्युत संकेतों को पकड़ेगा और उन्हें कमांड में बदलेगा। उदाहरण के लिए, अगर आप सोचते हैं कि आपको स्क्रीन पर कोई आइकन चुनना है, तो यह इम्प्लांट आपके दिमाग के संकेत को समझकर उस आइकन को सेलेक्ट कर देगा।

कैसे काम करेगी यह टेक्नोलॉजी?

इस टेक्नोलॉजी का आधार है हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर का सटीक तालमेल। Apple पहले से ही कई तरह की Accessibility फीचर्स देता है, जैसे कि हियरिंग टूल्स, जो 2014 में लॉन्च किए गए थे। अब कंपनी इस दिशा में एक कदम और आगे बढ़ाते हुए ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस पर काम कर रही है। Stentrode इम्प्लांट दिमाग के उन संकेतों को पढ़ेगा, जो हमारी सोच और इरादों को दर्शाते हैं। फिर ये संकेत वायरलेस तरीके से आपके iPhone, iPad या भविष्य में Vision Pro हेडसेट तक पहुंचेंगे, जो आपकी सोच को कमांड में बदल देंगे।

उदाहरण के लिए, मान लीजिए आप अपने फोन पर कोई गाना चलाना चाहते हैं। आपको बस उस गाने के बारे में सोचना होगा, और Stentrode आपके दिमाग के संकेत को पकड़कर फोन पर वह गाना चला देगा। यह तकनीक ना केवल आम यूजर्स के लिए गेम-चेंजर होगी, बल्कि उन लोगों के लिए भी जिंदगी आसान बनाएगी, जो शारीरिक रूप से अपने डिवाइस को इस्तेमाल नहीं कर पाते।

Apple का Accessibility में पुराना रिकॉर्ड

Apple ने हमेशा से Accessibility को अपनी प्राथमिकता बनाया है। कंपनी ने VoiceOver, Magnifier, और Live Listen जैसे फीचर्स दिए हैं, जो नेत्रहीन, कम सुनने वाले, या अन्य अक्षमता वाले यूजर्स की मदद करते हैं। अब ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस के जरिए Apple इस दिशा में एक नया कीर्तिमान स्थापित करने जा रहा है। यह तकनीक ना केवल Apple के डिवाइस को और स्मार्ट बनाएगी, बल्कि टेक्नोलॉजी को इंसान के दिमाग के और करीब लाएगी।

भविष्य में क्या संभव है?

इस टेक्नोलॉजी का भविष्य बेहद रोमांचक है। कल्पना कीजिए, एक ऐसा दौर जहां आप सिर्फ सोचकर अपने iPhone पर मूवी चला सकें, मैसेज भेज सकें, या Vision Pro हेडसेट के जरिए वर्चुअल दुनिया में घूम सकें। यह तकनीक ना केवल स्मार्टफोन यूजर्स के लिए, बल्कि मेडिकल फील्ड में भी क्रांति ला सकती है। खासकर उन मरीजों के लिए, जो लकवाग्रस्त हैं या जिन्हें मोटर न्यूरॉन डिजीज जैसी बीमारियां हैं, यह तकनीक उनकी जिंदगी को पूरी तरह बदल सकती है।

हालांकि, इस तकनीक को आम लोगों तक पहुंचने में अभी कुछ समय लगेगा। Synchron और Apple को कई टेक्निकल और रेगुलेटरी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। इसके अलावा, इम्प्लांट की सेफ्टी और लंबे समय तक इस्तेमाल की विश्वसनीयता भी सुनिश्चित करनी होगी। लेकिन Apple की टेक्नोलॉजी में इनोवेशन की हिस्ट्री को देखते हुए, यह कहना गलत नहीं होगा कि कंपनी इस चुनौती को भी शायद पार कर लेगी।

भारत में इसकी क्या संभावनाएं?

भारत जैसे देश में, जहां टेक्नोलॉजी तेजी से लोगों की जिंदगी का हिस्सा बन रही है, Apple की यह नई टेक्नोलॉजी कई लोगों के लिए वरदान साबित हो सकती है। खासकर ग्रामीण इलाकों में, जहां मेडिकल सुविधाएं सीमित हैं, यह तकनीक शारीरिक अक्षमता वाले लोगों को डिजिटल दुनिया से जोड़ सकती है। साथ ही, भारत के युवा टेक उत्साही भी इस तकनीक को हाथोंहाथ ले सकते हैं।

हालांकि, भारत में इसकी कीमत और उपलब्धता एक बड़ा सवाल होगी। Apple के प्रोडक्ट्स आमतौर पर प्रीमियम रेंज में आते हैं, लेकिन अगर कंपनी इसे सस्ता और सुलभ बनाने की दिशा में काम करती है, तो यह तकनीक भारत में भी बड़ा बदलाव ला सकती है।

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