Dheerendra Shastri Plan Of Hindu Gram: देश में अब एक नया सियासी और धार्मिक मुद्दा गरमाने लगा है, बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री ने दो दिन पहले देश के पहले ‘हिंदू गांव’ की नींव रखने का ऐलान किया। यह गांव छतरपुर के गढ़ा में बनेगा, जहां केवल हिंदू परिवारों को बसाने की योजना है। इस प्रोजेक्ट के तहत एक हजार हिंदू परिवारों को जमीन बागेश्वर धाम जनसेवा समिति द्वारा उपलब्ध कराई जाएगी।
शास्त्री का दावा है कि यह कदम हिंदू राष्ट्र की परिकल्पना को साकार करने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है। लेकिन इस घोषणा के बाद विवाद तेज हो गया है और अब कांग्रेस प्रवक्ता अब्बास हफीज ने भी इसमें कूदते हुए मुस्लिम गांव बनाने की मांग उठाई है।
Dheerendra Shastri Plan Of Hindu Gram: धीरेंद्र शास्त्री का हिंदू गांव प्लान।
धीरेंद्र शास्त्री ने अपने प्लान को साफ करते हुए कहा कि यह गांव दो साल में तैयार होगा। इसमें गैर-हिंदुओं के प्रवेश पर सख्त पाबंदी होगी। उनका कहना है कि पहले हिंदू परिवार और ग्राम बसेंगे, फिर धीरे-धीरे हिंदू तहसील और जिला बनाने की दिशा में काम होगा। यह घोषणा न सिर्फ मध्य प्रदेश बल्कि पूरे देश में चर्चा का विषय बन गई।
नेशनल मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक इस पर बहस छिड़ गई है। शास्त्री के समर्थक इसे हिंदुत्व की जीत बता रहे हैं, और उनके तरफ से पूरा समर्थन मिल भी रहा हैं, वहीं विरोधी इसे संविधान और देश की धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ कदम करार दे रहे हैं। विपक्ष का कहना है शास्त्री इस बहाने जमीन खरीदने बेचने के धंधा कर रहे हैं।
अब्बास हफीज ने किया धीरेंद्र शास्त्री पर पलटवार।
धीरेंद्र शास्त्री के ऐलान के बाद कांग्रेस प्रवक्ता अब्बास हफीज ने मुख्यमंत्री मोहन यादव से सीधी मांग की है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “आदरणीय मुख्यमंत्री मोहन यादव जी, यदि देश का संविधान ऐसे धर्म के आधार पर गांव बसाने की अनुमति देता है, तो मुझे भी मुस्लिम ग्राम, ईसाई ग्राम व सिख ग्राम बनाने की अनुमति दी जाए।” हफीज की यह मांग साफ तौर पर शास्त्री के हिंदू गांव के जवाब में है और इसे सियासी दांव के तौर पर भी देखा जा रहा है। उनका तर्क है कि अगर हिंदू गांव बन सकता है, तो अन्य धर्मों के लिए भी ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए।
मौलाना शहाबुद्दीन की तीखी प्रतिक्रिया
इस बीच, बरेली के मौलाना शहाबुद्दीन ने धीरेंद्र शास्त्री की योजना पर कड़ा ऐतराज जताया। उन्होंने कहा, “हिंदू ग्राम की विचारधारा देश और समाज के हित में नहीं है। यह समाज को तोड़ने और देश को कमजोर करने का काम करेगी। शास्त्री का हिंदू ग्राम, हिंदू जिला और हिंदू राष्ट्र का सपना कभी पूरा नहीं होगा। भारत अगले 1000 साल तक न हिंदू राष्ट्र बनेगा, न ही इस्लामिक राष्ट्र। भारत एक लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष देश है, जहां सैकड़ों धर्मों के लोग एक साथ रहते हैं।” मौलाना की यह टिप्पणी इस मुद्दे पर धार्मिक और सामाजिक तनाव को और बढ़ाने वाली साबित हुई।
सियासी घमासान और वोट की राजनीति
यह पूरा मामला अब सियासी रंग ले चुका है। हिंदुत्व के सबसे बड़े चेहरों में से एक माने जाने वाले धीरेंद्र शास्त्री के इस कदम को बीजेपी के समर्थन के तौर पर देखा जा रहा है, हालांकि पार्टी की ओर से अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं आया। दूसरी तरफ, गैर-बीजेपी दल इसे वोटों की राजनीति से जोड़कर देख रहे हैं।
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के लिए यह मुद्दा बीजेपी पर हमला करने का मौका मिल गया हैं और हमला किया भी जा रहा हैं। अब्बास हफीज की मांग को भी इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिससे हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण को भुनाया जा सके। मतलब साफ है की सब अपनी अपनी रोटियां सेकने में लगे हुए हैं।
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