Google Pay Phonepe UPI Business Model: देश में पिछले कुछ सालों में डिजिटल पेमेंट का सबसे बड़ा जरिया बन गया है UPI यानी यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस। आम लोग इस सुविधा के जरिए एक-दूसरे को फटाफट पैसे भेजते हैं, वो भी बिना किसी अतरिक्त चार्ज के। लेकिन हैरानी की बात ये है कि इस फ्री सेवा के बावजूद Google Pay और PhonePe जैसी कंपनियों ने साल 2022-23 में करीब 5065 करोड़ रुपये की कमाई कर लिया है।
अब सवाल ये उठता है कि जब UPI से पैसे भेजने और लेने पर कोई चार्ज नहीं लगता, तो फिर ये कंपनियां आखिर कमाती कैसे हैं? क्या इनका कोई छुपा हुआ प्लान है? या फिर ये फ्री सर्विस के नाम पर कोई और धंधा कर रही हैं?
दरअसल हकीकत ये है कि UPI के इर्द-गिर्द इन कंपनियों ने एक ऐसा बिजनेस मॉडल खड़ा कर दिया है की जिससे करोड़ों नहीं बल्कि हजारों करोड़ का रेवेन्यू आ रहा है। आइए इस पूरे मॉडल को आसान भाषा में समझते हैं
UPI क्या है और कौन ऑपरेट करता है?
सबसे पहले बात करें UPI की तो ये एक डिजिटल पेमेंट सिस्टम है जिसे नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) द्वारा ऑपरेट किया जाता है। इसमें पैसे भेजना और प्राप्त करना पूरी तरह फ्री है। सरकार का मकसद ये है कि ज्यादा से ज्यादा लोग डिजिटल ट्रांजैक्शन को अपनाएं।
लेकिन Google Pay, PhonePe जैसी कंपनियां खुद इस सिस्टम की मालिक नहीं हैं। ये सिर्फ एक माध्यम हैं इन्हें TPAP यानी थर्ड पार्टी ऐप प्रोवाइडर कहा जाता है। ये कंपनियां UPI इंफ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल करके ट्रांजैक्शन कराती हैं लेकिन इनकी असली कमाई यहां से नहीं बल्कि UPI से जुड़ी बाकी सर्विसेस से होती है।
Google Pay Phonepe UPI Business Model: दुकानदारों को दिए जाने वाले वॉइस स्पीकर से कमाई
आप ने ध्यान दिया होगा किसी भी दुकान पर पेमेंट करते हैं तो एक वॉइस सुनाई देती है “आपको 100 रुपये प्राप्त हुए PhonePe के माध्यम से”। ये सुविधा दुकानदार को एक छोटे डिवाइस के ज़रिए दी जाती है जिसे कंपनियां मंथली किराए पर देती हैं।
रिपोर्ट के अनुसार फिलहाल देशभर में करीब 30 लाख दुकानों पर ये वॉइस स्पीकर अभी एक्टिव हैं।
अगर हर स्पीकर के लिए कंपनी ₹100 मासिक लेती है तो एक महीने में 30 करोड़ और सालभर में ₹360 करोड़ की कमाई सिर्फ इसी सर्विस से हो जाती है।
स्क्रैच कार्ड और ब्रांडेड ऑफर से होने वाली आमदनी
Google Pay पर स्क्रैच कार्ड तो सबने खोला होगा। ट्रांजैक्शन के बाद जो कूपन या रिवार्ड दिखते हैं उनमें कई बार ब्रांड्स के ऑफर होते हैं, जैसे Amazon, Flipkart, Ajio वगैरह।
असल में ये ब्रांड्स Google Pay को पैसे देते हैं ताकि उनके ऑफर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचे। यह एक तरह का विज्ञापन होता है जो यूजर को फ्री गिफ्ट की तरह दिखता है, लेकिन कंपनी के लिए रेवेन्यू का मजबूत जरिया बनता है।
मर्चेंट टूल्स और SaaS सर्विसेस से कमाई
इन कंपनियों ने अब छोटे-बड़े व्यापारियों को सिर्फ पेमेंट की सुविधा नहीं दिया है, बल्कि उनके लिए अकाउंटिंग, इनवॉइस, जीएसटी रिपोर्टिंग जैसे कई डिजिटल टूल भी देने शुरू कर दिए हैं। ये टूल्स SaaS मॉडल पर काम करते हैं यानी सॉफ्टवेयर-as-a-service के तौर पर।
दुकानदार अगर इन टूल्स का इस्तेमाल करता है तो उसे इसके लिए मासिक या सालाना शुल्क देना होता है। ये भी कंपनियों की कमाई का एक और स्थायी जरिया है।
मोबाइल रिचार्ज, बिल पेमेंट, बीमा और लोन से कमीशन
आज Google Pay और PhonePe सिर्फ पेमेंट ऐप नहीं रह गए हैं। इनके अंदर अब मोबाइल रिचार्ज, बिजली बिल, पानी, गैस, बीमा, म्यूचुअल फंड, डिजिटल गोल्ड, यहां तक कि लोन की सुविधा भी मिलने लगी है।
इन सभी सेवाओं पर कंपनियां थर्ड पार्टी प्रोवाइडर्स से कमीशन लेती हैं। जितना बड़ा यूजर बेस, उतनी ज्यादा कमाई होती है।
यूजर डेटा से indirect कमाई
इन कंपनियों को यूजर का खर्च करने का तरीका, लोकेशन, टाइमिंग जैसी चीज़ों की पूरी जानकारी होती है। भले ही ये कंपनियां डेटा बेचती नहीं हैं, लेकिन इसका इस्तेमाल खुद के प्रोडक्ट बेहतर करने और विज्ञापन टार्गेटिंग के लिए करती हैं।
इसका फायदा सीधा कंपनी के वैल्यूएशन और इन्वेस्टर्स को होता है। यानी डेटा से भी पैसा, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से होता है ।
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