भारतीय रेलवे ने तत्काल टिकट बुकिंग में धोखाधड़ी और दलालों के नेटवर्क को रोकने के लिए 1 जुलाई 2025 से IRCTC पर आधार वेरिफिकेशन अनिवार्य किया था। लेकिन इसके बावजूद अब टेलीग्राम और व्हाट्सएप पर एक नया रैकेट सामने आ रहे है। जो की मात्र 360 रुपये में आधार-सत्यापित IRCTC यूजर आईडी बेच रहा है। और ये लोग ऐसा गारंटी दे रहे है कि उनके बॉट्स और आटोमेटिक सॉफ्टवेयर 60 सेकंड में ततकाल टिकट बुक कर देते है।
आखिर ये लोग काम कैसे करते है।
इंडिया टुडे की अपनी ओपन-सोर्स इंटेलिजेंस (OSINT) टीम ने टेलीग्राम और व्हाट्सएप पर 40 से अधिक एक्टिव ऐसे ग्रुप्स की पहचान की है, जो ई-टिकटिंग के इस काले बाजार में शामिल है। ये ग्रुप क्या करते है की आधार-वेरिफाइड IRCTC अकाउंट्स को 360 रुपये में बेचते हैं, जिनका इश्तेमाल ये लोग तत्काल टिकट बुकिंग के लिए OTP जनरेट करने में करते है।
ये फ्रॉड लोग इन अकाउंट्स को मैन्युअल तरीके से ऑपरेट नहीं करते बल्कि ‘Dragon’, ‘JETX’, ‘Ocean’, ‘Black Turbo’ और ‘Formula One’ जैसे बॉट सॉफ्टवेयर का प्रयोग करते हैं। जिनकी कीमत 999 से 5,000 रुपये तक है। इनके ये सॉफ्टवेयर IRCTC की वेबसाइट पर तेजी से टिकट बुक करने के लिए खासतौर से डिज़ाइन किए गए हैं।
इतना ही नहीं इस रैकेट के एडमिन अपनी असली पहचान छिपाने के लिए दूसरे देश के फोन नंबरों का यूज करते हैं और वर्चुअल प्राइवेट सर्वर (VPS) के जरिए अपने IP एड्रेस को छुपाते है। ताकि IRCTC के एंटी-बॉट सिस्टम को ये लोग चकमा दे सके। कुछ ऑपरेटर तो गारंटी के साथ ऐसा करते हैं कि वे IRCTC के AI एल्गोरिदम को बायपास करने के लिए नए फीचर्स डेवलप कर रहे हैं।
IRCTC की कार्रवाई और नए नियम
रेल मंत्रालय ने तत्काल टिकट बुकिंग को पहले से आसान और सुरक्षित बनाने के लिए कई कड़े कदम उठाए हैं। जैसे 1 जुलाई 2025 से केवल आधार वेरिफयाड यूजर्स ही IRCTC की वेबसाइट या ऐप के जरिए तत्काल टिकट बुक कर सकते हैं। इसके अलावा 15 जुलाई 2025 से हर तत्काल बुकिंग के लिए आधार से जुड़े मोबाइल नंबर पर OTP से वेरिफिकेशन भी अनिवार्य हो जायेगा।
रेलवे के तरफ से यह भी घोषणा किया गया है कि बुकिंग विंडो खुलने से पहले 30 मिनट तक अधिकृत एजेंट्स को टिकट बुक करने की अनुमति नहीं होगी वही AC क्लास के लिए सुबह 10:00 से 10:30 और नॉन-AC क्लास के लिए सुबह 11:00 से 11:30 तक रहेगा।
IRCTC ने अभी हाल ही में 2.5 करोड़ फर्जी यूजर आईडी को डिलीट किया है और इसके अलावा 20 लाख अन्य अकाउंट्स की जांच भी कर रहा है। कई मीडिया रिपोर्ट्स और सूत्रों के हवाले से तत्काल बुकिंग के पहले पांच मिनट में 50% तक लॉगिन प्रयास बॉट्स द्वारा किए जाते हैं जिसके कारण जिनको जरुरत होती थी उन्हें टिकट नहीं मिल पाता था।
वही रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (RPF) ने भी अवैध ई-टिकटिंग में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी है। अभी हाल ही में भोपाल में RPF ने एक व्यक्ति को पांच फर्जी यूजर आईडी के साथ 1.85 लाख रुपये के 132 ई-टिकटों के साथ पकड़ा।
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